वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री श्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आज यहाँ कहा कि कांग्रेस स्पष्ट करे कि यूनिफार्म सिविल कोड पर समावेशी कानून उसकी प्राथमिकता है या सांप्रदायिक करतूत।
आज नई दिल्ली में पत्रकारों के सवाल के जवाब में श्री नकवी ने कहा कि सात दशकों की "कम्युनल कारीगरों की क्रिमिनल करतूत के कारागार में कैद" कॉमन सिविल कोड की रिहाई का वक्त आ गया है। समान नागरिक कानून सम्पूर्ण समाज के लिए है किसी एक सम्प्रदाय के लिए नहीं, 'सामाजिक सुधार पर साम्प्रदायिक वार' मुल्क, मजहब, मानवता के खिलाफ साज़िश है।
श्री नकवी ने कहा कि संविधान सभा से लेकर संसद, सड़क, समाज, सुप्रीम कोर्ट, सिविल सोसायटी, कॉमन सिविल कोड की संवैधानिक जरूरत को मजबूती से महसूस करते रहे लेकिन "साम्प्रदायिक सियासत" ने "समावेशी सुधार" को हाईजैक किया। इसका परिणाम रहा कि समान नागरिक संहिता "संविधान का अनुच्छेद" का हिस्सा बनने के बजाय "दिशा निर्देश का किस्सा" बन कर रह गया।
श्री नकवी ने कहा कि समान नागरिक संहिता पर फिर से राष्ट्रीय बहस की प्रभावी प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही साम्प्रदायिक वोटों के सौदागरों द्वारा कटुतापूर्ण कुतर्क, कुप्रचार की कपटी कांस्पीरेसी से यूसीसी को धार्मिक आस्थाओं पर आक्रमण बता कर भ्रम, भय का प्रयास शुरू कर दिया गया है।
श्री नकवी ने कहा कि कुतर्क के कारीगर भी जानते हैं कि समान नागरिक कानून धर्म या इस्लामिक आस्था पर हस्तक्षेप नहीं बल्कि सर्वसमाज के इन्साफ, ईमान, इन्सानियत को महफूज और मजबूत करेगा। अलग-अलग सिविल व्यवस्थाओं के मकड़जाल से मुल्क, मानवता को मुक्ति दिलाएगा।
श्री नकवी ने कहा कि उम्मीद है कि अमृत काल में समान नागरिक संहिता पर इस बार हो रहे मंथन से अमृत जरूर निकलेगा। यह अमृत देश को अमृत काल का बेशकीमती उपहार साबित हो सकता है।